वायरस अलर्ट : सामान्य नहीं है सर्दी खांसी.. भर्ती हो रहे मरीजों में मिल रहा H3N2 संक्रमण..

साभार : सोशल मीडिया
दिल्ली। मानसून के बीच सरकार के इन्फ्लूएंजा ट्रैकर ने एक बार फिर एच3एन 2 संक्रमण का अलर्ट दिया है। यह मौसमी इन्फ्लूएंजा एच1एन1 का एक उपप्रकार है जो अभी देश के ज्यादातर हिस्सों में फैला है।

इसके चलते मानसून में अक्सर होने वाली सर्दी-खांसी अब सामान्य नहीं रही। संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की नौबत आ रही है। साथ ही परिवार के सदस्यों को यह तेजी से चपेट में ले रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक चार सप्ताह से देश के ज्यादातर हिस्सों में एचएन 2 वायरस तेजी से बढ़ रहा है। बीते सप्ताह करीब 42 % नमूनों में इसकी पुष्टि हुई है।


आईसीएमआर का मानना है कि गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले सभी रोगियों में से करीब 50 फीसदी में एचएन 2 पाया गया। यह मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा का दो बार पीक देखा गया है। पहला जनवरी से मार्च और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में आता है। इस साल यह अगस्त में ही दिखाई देने लगा है। इसका सबसे ज्यादा जोखिम पांच वर्ष तक के बच्चे और 60 वर्ष या उससे अधिक की बुजुर्ग आबादी हो सकती है।

घनी आबादी में तेजी से फैलता है : विश्व स्वास्थ्य

संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जारी अलर्ट में कहा है कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में एच3एन 2 संक्रमण काफी तेजी से फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने इसके प्रसार को रोकने के लिए निगरानी बढ़ाने और समय पर जांच जरूरी बताई है। एच३एन2 वायरस अत्यधिक संक्रामक : आईसीएमआर के अनुसार, जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो तो श्वसन बूंदों के माध्यम से एच3एन 2 फैलता है। इसके लक्षण मौसमी फ्लू के समान हैं और इसमें बुखार, गले में खराश, खांसी, थकान और शरीर में दर्द शामिल हैं। मौजूदा प्रकोप में इस संक्रमण से पीड़ित लगभग 10 फीसदी रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है।

जाने बचाव के उपाय

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना महामारी में जिस तरह बचाव उपायों का पालन किया, उसी तरह अभी भी अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। हल्की सर्दी या खांसी के लक्षण होने पर मास्क जरूर पहनें और भीड़भाड़ से दूर रहें। अपनी आंखों और नाक को बार बार स्पर्श करने से बचें। तरल पदार्थ का सेवन करें और बुखार या शरीर में दर्द होने पर पैरासिटामॉल दवा का सेवन करें।

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