सीएमडी कॉलेज प्रबंधन की भारी फजीहत.. नैक टीम के सामने निरुत्तर रही कॉलेज की टीम, छात्रों से अवैध वसूली.. शिक्षकों को नियम विरुद्ध कम वेतन देने का मामला भी आया सामने..

बिलासपुर/-

संभाग के सबसे बड़े कॉलेज सीएमडी कॉलेज प्रबंधन ने निरीक्षण के लिए आई नैक टीम को अंधेरे में रख दिया है। कॉलेज को ए ग्रेड का दर्जा दिलाने के लिए कई तरह की साजिश रची गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि कई साल से कॉलेज में नियमित प्राचार्य नहीं है। डॉ. संजय सिंह को प्रभारी प्राचार्य की जिम्मेदारी देकर काम चलाया जा रहा है। प्रभारी प्राचार्य होने के कारण कॉलेज के नियमित स्टाफ का वेतन निकालने का अधिकार जरहाभाठा कालेज के प्राचार्य को दिया गया है। यही वजह है कि कॉलेज के नियमित स्टॉफ को करीब चार माह का वेतन नहीं मिल पाया था। जरहाभाठा कॉलेज के प्रिसिंपल के छुट्‌टी से लौटने के बाद ही नियमित स्टॉफ को वेतन का भुगतान हो पाया है।


महिलाओं के दुव्र्यवहार के मामले में कॉलेज सालों से बदनाम है। यहां दो प्राध्यापकों पर रेप के गंभीर आरोप लग चुके हैं। कहने को तो डॉ. संजय सिंह प्रभारी प्राचार्य हैं, लेकिन यहां हुकूम रेप में मामले में आरोपी रहे डॉ. कमलेश जैन और डॉ. चक्रवर्ती की ही चलती है। 

नैक टीम की चेयरमैन सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. नीरजा ए गुप्ता हैं। सदस्य इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान और विष्णु यादव हैं। नैक की टीम जैसे ही सोमवार को निरीक्षण के लिए कॉलेज पहुंची, प्रबंधन ने डॉ. कमलेश जैन से अगुवानी कराई। डॉ. कमलेश जैन और प्रभारी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ने ही टीम को कॉलेज का निरीक्षण कराया। इस दौरान टीम ने जितने भी सवाल दागे, दोनों ने ही उसका जवाब दिया।

ऑनलाइन परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त प्राइवेट स्टूडेंट्स से बेजा वसूली

कॉलेज प्रबंधन ने प्राइवेट स्टूडेंट्स से ऑनलाइन परीक्षा शुल्क वसूला है। इसके अलावा हार्ड कॉपी जमा करते समय प्राइवेट स्टूडेंट्स से एक –एक हजार रुपए की बेजा वसूली की गई है।

तदर्थ शिक्षकों को 8-9 हजार मानदेय, विभाग में नेट और कम्प्यूटर नहीं

कॉलेज प्रबंधन तदर्थ शिक्षकों को जमकर शोषण करता है। इन्हें महज 8-9 हजार मानदेय दिया जाता है। कॉलेज के प्रत्येक विभाग में इंटरनेट और कंप्यूटर नहीं है। इसके कारण कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो पाई थी। नैक टीम को जितना बताया जा रहा है, वह सब फर्जी है।

कॉलेज के पीछे की बिल्डिंग का कराया निरीक्षण

प्रबंधन ने कॉलेज के पीछे एक अखबार की बाउंड्रीवाल से लगी एक बिल्डिंग बनवाई है, जिसे स्मार्ट क्लॉस के रूम में सजाया गया है। नैक टीम को सोमवार को इसी बिल्डिंग को दिखाया गया है। इस बिल्डिंग को यूजीसी के मिले फंड से बनवाया गया है।

रूसा से ग्रांट मिला ही नहीं

सन 2014 में नैक की टीम ने निरीक्षण कर कॉलेज के बारे में अच्छी रिपोर्ट दी थी। इसके चलते कॉलेज को ए ग्रेट का दर्जा मिला था। ए ग्रेट का दर्जा मिलने पर रूसा ने दो करोड़ रुपए का ग्रांट स्वीकृत किया था। यह राशि कॉलेज को जारी करने से पहले रूसा की ओर कॉलेज में एक टीम भेजी गई थी। उस समय टीम ने कॉलेज के नाम को लेकर आपत्ति जताई थी। टीम का कहना था कि रूसा में कॉलेज का नाम सीएम दुबे दर्ज है, जबकि यहां सीएमडी कॉलेज के नाम से कॉलेज का संचालन किया जा रहा है। टीम ने प्रबंधन को कॉलेज का नाम बदलने पर ही ग्रांड देने की शर्त रखी। यही नहीं, टीम ने प्रबंधन से 1956 में पंजीयन कराए गए नाम का दस्तावेज मांगा, जिसे प्रबंधन पेश नहीं कर सका। इसके कारण रूसा से किसी तरह का ग्रांट अब तक नहीं मिला है।

नैक की टीम के सवालों का जवाब नहीं दे पाया प्रबंधन

नैक की टीम ने सीएमडी कॉलेज प्रबंधन से सवाल दागा कि कॉलेज को इतनी आय बताई जा रही है तो इसका स्रोत क्या है, जो छात्र फेल हो जाते हैं उनके लिए क्या किया जाता है। इन सवालों का जवाब प्रबंधन नहीं दे पाया। यही नहीं, टीम के सामने आय-व्यय का ब्योरा भी पेश नहीं किया गया। जिन छात्रों को एलुमिनी के तौर पर लाया गया है, वे भी कॉलेज की व्यवस्था से असंतुष्त नजर आए। एलुमिनी छात्रों ने भी अपना अनुभव टीम को शेयर किया है। पूरे मामले की शिकायत करने के लिए दस्तावेज जुटा लिए गए हैं। इसकी शिकायत जल्द ही नैक टीम और यूजीसी से की जाएगी।

(हाईकोर्ट में पेश किए गए फर्जी दस्तावेज और हाईकोर्ट के निर्णय की कॉपी हमारे पास सुरक्षित है।)

"साभार : आजकल इन्फो"

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